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Abhigyan Shakuntalam

By: Vivek Rao, Rajnish Rao, White Script
Narrated by: Ashish Dave, Manikant Sorbhoy, Aranya Kaur, Yudhvir, Shaily Dubey, Ankit Goswami, Rohan Shukhthankar, Jasbir, Pranav, Pushkar
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  • Summary

  • Abhigyan Shakuntalam written by the greatest Sanskrit maestro, Mahakavi Kalidas nearly 2,500 years ago. This immortal love story is also the bedrock foundation of India's rich socio-cultural fabric.The story of Sakuntala also told in the epic Mahabharata and regarded as best work of Kalidasa’s. Two young persons-Dushyant and Shakuntala -fall in love with each other in the forests of Hastinapur in ancient india . Due to circumstances comes separation. Finally, they unite, thanks to the ring that is found by a fisherman under the most unimaginable circumstances. This classical play has been performed in various parts of the world. It has also been translated into many global languages and has been adapted into feature films and Television shows. Centuries after it was created, it remains an exciting piece of literary perfection. This audio love story is presented in dialogue and drama format with rich music and effect. Music & Foley Composed by : Abhijeet Hegdepatill Creative Director : Inder Kochar Voice Director : Aaditya Kumar DISCLAIMER: This podcast series titled “Abhigyan Shakuntalam ” and all elements thereof is a pure work of fiction. The series is meant solely for the purpose of entertainment. This disclaimer informs listeners that the series does not intend to be a documentary / biography of any event and/ or any character depicted therein. This show is not intended to offend or defame any individual, entity, caste, community, race, or religion or to denigrate any institution or person, living or dead. Listener's discretion is advised.
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Episodes
  • भारतवर्ष
    Dec 1 2021
    एकांतवास में सम्राट दुष्यंत को देवराज इंद्र का स्मरण हो आता है और वो उनका आह्वाहन करके उनसे सहायता माँगते हैं। अनभिज्ञ बनकर देवराज इंद्र सम्राट से देवासुर संग्राम में साथ देने का वचन लेते हैं और वचन भी देते हैं कि युद्ध के उपरांत भगवद कृपा और माँ आदिशक्ति के वरदान से उनके कष्टों व वेदना का निराकरण हो जाएगा। कई वर्षों के अनवरत युद्ध के उपरांत सम्राट दुष्यंत के हाथों पाताल लोक के असुर दुर्जय का अंत होता है। स्वर्गलोक में प्रसन्नता की लहर फैल जाती है। देवराज इंद्र स्वयं ही सम्राट दुष्यंत के सारथी बनकर उन्हें तपस्वी लोक ले जाते हैं जहाँ कश्यप मुनि के आश्रम में सम्राट की भेंट अपने पुत्र सर्वदमन भरत और धर्मपत्नी शकुंतला से होती है। देवराज इंद्र अपना वचन पूर्ण करते हैं और सबको हस्तिनापुर पहुँचाते हैं। इस प्रकार सर्वत्र हर्ष ही हर्ष छा जाता है।
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    23 mins
  • अंत या आरम्भ
    Dec 1 2021
    सम्राट दुष्यंत और देवी शकुंतला के बीच का वार्तालाप ऐसे मोड़ पे पहुँचता है जहाँ सम्राट को अत्यंत क्रोध आ जाता है। विलाप करती हुयी देवी शकुंतला को कश्यप मुनि एक दिव्य रथ में बिठाकर अपने संग स्वर्गलोक ले जाते हैं। देवराज इंद्र और मुनिवर सर्वप्रथम देवी शकुंतला को सांत्वना देते हैं फिर विधाता के भविष्य लीला का चक्र समझते हैं। देवी शकुंतला देवराज का सुझाव मानकर कश्यप मुनि के आश्रम में अपने बालक का लालन पालन करने को हामी भर देती हैं। इधर हस्तिनापुर में एक मछुआरे से सम्राट दुष्यंत की राजमुद्रिका मिलती है। विदूषक माधव्य के निवेदन पर सम्राट जैसे ही राजमुद्रिका का स्पर्श मात्र करते हैं कि ऋषि दुर्वासा का श्राप प्रभावहीन हो जाता है और सम्राट की स्मृति में सब कुछ चित्र की भाँति प्रकट हो जाता है।
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    22 mins
  • दुर्भाग्य लीला
    Dec 1 2021
    नई नवेली दुल्हन की तरह साजो श्रिंगार करके देवी शकुंतला की विदायी की गयी। हाथी पे सवार होकर वो हस्तिनापुर की ओर चलीं। मार्ग में कड़ी धूप जब बाधा बनी तो ईश्वर की कृपा से ऋतु परिवर्तन हो गया। शीतल हवा बहने लगी और काली घटाओं ने सूर्य की प्रखर किरणों को ढंक दिया। अंतत: प्रातः काल होते होते हस्तिनापुर पहुँच ही गयीं देवी शकुंतला। सम्राट दुष्यंत से भेंट के उपरांत उन्होंने देवी शकुंतला को स्वीकारने ही नहीं अपितु पहचानने से भी अस्वीकार कर दिया। वाद विवाद कटु होता गया। ऋषिकुमारों के आरोपों का खंडन करके क्रोधित हो चुके सम्राट दुष्यंत ने देवी शकुंतला से वार्तालाप करने का मन बनाया।
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    17 mins

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